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अल्मोड़ा:- इसे कुदरत की कायनात से खिलवाड़ की इंतहा कहें या जलवायु परिवर्तन की मार कड़ाके की सर्दियों में जहां पतझड़ का राज है वहीं बसंत आगमन का इंतजार हो रहा है वहीं अति से इति का सा आभास करा रहे मौसम चक्र ने कदाचिद सभी जीवों में समझदार कहे जाने वाले मानव की समझ को स्पष्ट चेतावनी जारी कर दी है |
कड़ाके की सर्दी में शीतलाखेत में फलदार पेडों में बेमौसम फल आने लगे हैं।शीतकालीन मौसम कुछ अलग ही कहानी कह रहा है मई माह में लगने वाली खुबानी और काफल जनवरी माह में ही पेड़ों में दिखाई देने लगे हैं।शीतलाखेत के निकट नौला गांव निवासी पूर्व प्रधान भोला राम और झूंगर राम के बगीचों में पेडों में खुबानी के फल लग गए हैं, पेड़ों में पत्ते तो नहीं आए हैं लेकिन फल लग गए हैं | इसी तरह काफल के पेड़ों में काफल निकल आये हैं जो सभी के लिए कौतूहल और आश्चर्य का विषय बना हुआ है। आम लोग जहां इसे अजूबा या बदलते वक्त का असर बता रहे हैं वहीं जानकार इसे एक बड़ी चेतावनी बता रहे हैं, क्योंकि बदलते मौसम चक्र में कुछ एक सालों से पेड़ पौधों में बेमौसमी परिवर्तन दिख रहे हैं, दिसंबर जनवरी में बुरांश खिल जाने को अब लोग सामान्यतया: ले रहे हैं लेकिन बिना नई कलियों व पत्तों के आए ही पेड़ों में फल लग जाने की घटना आश्चर्य व कौतूहल के साथ ही प्रकृति की स्पष्ट चेतावनी है जिसे समय रहते समझ लेना चाहिए |
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